चिट्ठियां ज़िन्दगी के पते पर......
एक मुट्ठी रौशनी के वास्तेउम्र भर हम रात को धोते रहे...वाह!
धन्यवाद समीर जी...
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एक मुट्ठी रौशनी के वास्ते
उम्र भर हम रात को धोते रहे...
वाह!
धन्यवाद समीर जी...
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