
तेरे किरदार भी अब एक सी तेहेरीर करते हैं...
बदल अब कुछ कहानी और कुछ तब्दीलियाँ कर दे
तेरे किरदार अब हर सू बगावत पर उतारू हैं..
कहानी में जिन्हें,एक साथ रहेने की हिदायत थी,
वो एक दूजे के खूँ से प्यास अब अपनी बुझाते हैं
भुला बैठे हैं सब संवाद किसको बोलना क्या था..
वो खुद ही तोड़ते हैं पाँव से स्टेज के तख्ते
अगर किरदार हैं तेरे अदाकारी ये किसकी है..
अगर फनकार हैं तेरे तौ फनकारी ये किसकी है..
इन्हें किसने सिखाया तू बता बरबादियों का फन
इन्हें किसने सिखाया छीन कर रोटी को खाना है..
नहीं है तू अगर तौ कौन सी ताक़त है के जिसने
तेरे हाथों से सारी डोरियाँ कब्जे में ले लीं हैं
रहेगा देखता कब तक तू अपने फन की बर्बादी
रहेगा भेजता कब तक यहाँ किरदार शैतानी.....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें