डाकिया
चिट्ठियां ज़िन्दगी के पते पर......
सोमवार, 21 जून 2010
केमेरा..
न जाने कितने रंगीं खुशनुमा लम्हों की तस्वीरें
मेरी आँखों के देसी कैमरे ने पल-ब-पल खींचीं
वो यादों के शेहेर के गहमागम बाज़ार की
सबसे पुरानी वक़्त की दुकाँ पे भेजी थीं
ना जाने वो मेरी तस्वीरें कब तक धुल के आएँगी...
1 टिप्पणी:
Udan Tashtari
ने कहा…
बहुत बढ़िया.
21 जून 2010 को 3:20 pm बजे
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1 टिप्पणी:
बहुत बढ़िया.
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