बहुत सवेरे आज उठा तौ देखा मैंने...
आँखें मलते मलते सूरज जाग रहा है..
कैनवास के शूज़ कसाए.....
अपनी अपनी लाठी के संग भाग रहे हैं
अपनी अपनी लाठी के संग भाग रहे हैं
कालौनी के पीले-पीले बंद घरों में,
कचे पक्के ख्वाब टूटने ही वाले हैं..
कचे पक्के ख्वाब टूटने ही वाले हैं..
नन्हे बच्चे कन्धों पर दुनिया को टाँगे...
हंसने वाली बस का रस्ता देख रहे हैं...
कुछ लड़के सर-सर करते दोपहिया थामें,सडी गली और बासी खबरें बाँट रहे हैं...
उधर फलक पे चाँद खडा टेढा मुंह करके,
सूरज की एकमुश्त उधारी चूका रहा है...
मेंन रोड के लैंपपोस्ट ये जुड़वां सारे,
लाल उनींदी आँखें फाड़े सुलग रहे हैं.....
बहुत सवेरे आज उठा तौ देखा मैंने,
घर के बहार खून में लथपथ रात पड़ी थी...