रविवार, 10 अक्तूबर 2010

सनसेट...

रात बेटे  ने अचानक पूछा.. क्यूँ पापा...
ये जो सन है वो कहाँ जाता है...
मैंने बस यूं ही कहा...सोने ही जाता है कहीं...
बड़े तपाक से बोला...` नहीं.. नहीं पापा, ...
छुपके रोता है, छत पे रात जब भी आती है...
मेरे जेसे ही अँधेरे में वो भी डरता है....
`पापा सूरज को भी एक नाईट बल्ब दे दो न..??

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

ओह! बालमन और ये निश्छल भाव!

Dankiya ने कहा…

shukriya..unke kai sawal sochne par majboor kar dete hain....

बेनामी ने कहा…

Oh My God......killer thought!!

bohot hi sweet hai :)

Dankiya ने कहा…

shukriya saanjh....