रात बेटे ने अचानक पूछा.. क्यूँ पापा...
ये जो सन है वो कहाँ जाता है...
मैंने बस यूं ही कहा...सोने ही जाता है कहीं...
बड़े तपाक से बोला...` नहीं.. नहीं पापा, ...
छुपके रोता है, छत पे रात जब भी आती है...
मेरे जेसे ही अँधेरे में वो भी डरता है....
`पापा सूरज को भी एक नाईट बल्ब दे दो न..??
4 टिप्पणियां:
ओह! बालमन और ये निश्छल भाव!
shukriya..unke kai sawal sochne par majboor kar dete hain....
Oh My God......killer thought!!
bohot hi sweet hai :)
shukriya saanjh....
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