शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

राम ये कैसा रावण मारा था तुमने....

राम ये कैसा रावण मारा था तुमने....
मरता नहीं.. हर बार मारना पड़ता है....
अबके कोई `राम, बनाओ ना....


1 टिप्पणी:

प्रमोद ताम्बट ने कहा…

पुतला फूँकत जग मुआ
रावण मरा ना कोय
जो फूँके निज अहंकार
रावण क्यूँ पैदा होय।

प्रमोद ताम्बट
भोपाल
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http://vyangyalok.blogspot.com
व्यंग्य और व्यंग्यलोक
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