तुम्हारे सामने सारी उम्र मुंह बाये बैठी है..
उठो के वक़्त का फेरा तुम्हे ताने ना दे पाए,
उठो कितने ही रस्तों पर तुम्हारे पाँव पड़ने हैं,
उठो अब भी तुम्हारी राह में बैठी है एक मंजिल,
उठो तुमको ही धोनी है लहू से तरबतर धरती,
उठो तुमको हो दुनिया में नए इन्सां बनाने हैं,
सितारे दिन में दिखला दो,उठालो हाथ में सूरज
उठो आगे बढ़ो तुमको ही गिरतों को उठाना है,
उठो बिगड़ी हुयी हर चीज़ तुमको ही बनाना है,
उठो.. ताज़ा सुनहरी दिन तुम्हारी राह ताकता है....
2 टिप्पणियां:
bahut hi pyaaree kavita...
dhanywad pooja ji...
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