मंगलवार, 13 अक्तूबर 2009

माँ की मैराथन...........................................

`तितली के पीछे जो भागी..
सुबह को सबसे पहले जागी
वो मेरी नानी की बिटिया
झाडू, पोंछा, चूल्हा, बर्तन,
जीवन भर चलती मेराथन 
आज भी पौ फटते उठती है 
चौके चूल्हे में जुटती है 
वो मेरी नानी की बिटिया,......   

4 टिप्‍पणियां:

Mishra Pankaj ने कहा…

सुधीर जी नमस्कार
सुन्दर लिखा है आपने
आप कल के हमारे चर्चा मे शमिल है...

Dankiya ने कहा…

dhanywad Mishra ji..!!!

Udan Tashtari ने कहा…

प्यारी रचना.

Dankiya ने कहा…

Dhanywad sameer ji..!!!