`अबके आई है कैसी दिवाली
आँख भर आई और जेब खाली
क्या दिए यां तौ दिल भी जले हैं...
कौन जाने है कैसी मिठाई..
कोई अश्कों को कैसे संभाले..
जब दिवाली में निकले दिवाले आग बाज़ार में आ गई है..
एक बच्चे को झुलसा गई है..
अपनी खामोशियों को सुनाके
लूट लाया हूँ मैं कुछ धमाके...
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