गणेश झांकियों की मीठी यादें.....
भादो आते ही...बचपन की.बहुत खास भीगी भीगी रातें याद आती हैं...हमारे तरफ की कोलोनीस में...राखी के बाद से ही गणेश जी की तैयारियां. शुरू हो जाती...चंदे वालों की आवाजाही..और घर वालों की टालमटोल..कल ले लेना, परसों ले लेना......और फिर रसीद कट ही जाती... एक-एक मोहल्ले में तीन-तीन झांकियां...झांकी बनाने में मोहल्ले के कई टेलेंट्स सामने आते..कोई पेंटिंग करता कोई लाइटिंग में उस्तादी दिखाता...फिर रात-रात भर झांकी में पहरेदारों की तरहडयूटी लगती..किसी की प्रसाद वितरण तौ कोई अनुशासन प्रमुख बनकर..दादागिरी दिखाता..ओर्केस्ट्रा,नाटक,अन्ताक्षरी चेअर रेस,मटकी फोड़,के आयोजन..और फिर सबसे बड़ा आकर्षण..
सड़क पर पिक्चर...हम शाम से ही झांकियों में ये जानने निकल जाते, के आज कहाँ... कौन सी फिल्म दिखाई जाने वाली है....७-८ बजे से शुरू हुआ स्ट्रीट मूवी का सिलिसिला मूंगफली के दानों के साथ देर रात..तक चलता...और रोज़ पिताजी की डांट पर ख़त्म होता था......
1 टिप्पणी:
kya baat hai sir...awaaz bhar aayi
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