न पढने की है आजादी, न हाथों में खिलौने हैं....
मेरे सपनों में आती है तौ बस एक वक़्त की रोटी....
मेरा बचपन भटकता है,कहीं गलियों में सड़कों पे
मुझे आज़ाद कहते हो.....
कहीं है होटलों में ज़िन्दगी टेबल से टेबल की
कहीं कचरे के डिब्बों में,उतरता,बीनता खुशियाँ
मेरी हर एक तमन्ना क़ैद है मेरी ही आँखों में
मुझे आज़ाद कहते हो.....
2 टिप्पणियां:
सही कहा!
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
meri or se bhi aapko va samast parijanon ko...swadheenata diwas ki dheron badhaoyan...
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