मंगलवार, 3 अगस्त 2010

ज़िन्दगी...

वक़्त बिगड़े हुए हालात बदल ही देता
कुछ एक ख्वाब को ताबीर मिल गयी होती...
दर्द उठ-उठके बिखर जाता रास्तों में कहीं
फासले बढ़के कोई सिलसिला बना देते,
अश्क आँखों के कोई फूल खिला ही देते
सख्त राहों से ही निकल आती,
नर्म पगडण्डी कोई खुशियों की
दिल के टूटे हुए टुकड़ों से कही
कोई तखलीक हो गयी होती....
तुम जो घबराके और झुंझलाके
राह काँटों की छोड़ आये हो...
ये राह ज़िन्दगी से मिलती है....

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