रविवार, 3 अप्रैल 2011

माँ से दौ रुपये आज फिर मांगे....
हमने सन्डे का मैच रक्खा है...
एक-इक रुपये का पर हेड कंट्रीब्युशन है..

सफ़ेद जूते गीली चाक से चमकाए हैं..
पटेल ग्राउंड में सुबह से गहमा गहमी है...
बाल्टी, मग्गों से छिडकाव हो रहा है वहां...
गुड्डू,पप्पू, कमल, तैयार हैं सब....
छोटू को बाँल लेने भेजा है..
विकेट हमारे हैं और पैड अगली टीम के हैं....

जीत कर शाम को घर लौट रहा है बचपन...
बड़ी मासूम सी ख़ुशी लेकर...
वो ख़ुशी आज फिर से लौटी है...

3 टिप्‍पणियां:

सागर ने कहा…

good length ball daali hai aapne :)

Dankiya ने कहा…

shuklriya..sagar ji par aapke comment ne bowled kar diya..:)

बेनामी ने कहा…

सुन्दर रचना के लिए बधाई