शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

ग्रीटिंग

याद है जब एक साल तुम्हारा ग्रीटिंग मुझे नहीं पहुंचा था...
ग्रीटिंग जिसके भीतर मैं तुमको पढता था...
जिसके एक-एक हर्फ़ से अफ़साने गढ़ता था
बहुत पुरानी बात है वो भी नया साल था.......
कई दिनों तक रक्खी थीं उम्मीद होल्ड पर...
...आज भी बीता बरस सिराने जाता हूँ....
आज भी रूठा हुआ साल, हर साल मनाता हूँ........

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