घर के आँगन से ज़रा दूर वहां,
खुरदुरी सड़क के करीब
गिरते लहराते पीले पानी में
नांव कागज़ की छोड़ आये थे
माँ ने चिल्लाके जब पुकारा था..
नांव की फिक्क्र साथ साथ लिए
दौड़के घुस गए थे कमरे में
आज भी बारिशों के मौसम में
गिरते लहराते पीले पानी से...
नांव कागज़ की वो बुलाती है...
घर के आँगन से ज़रा दूर वहां,
खुरदुरी सड़क के करीब...
4 टिप्पणियां:
sundar...
बहुत बढिया !!
dhanyawad sonu aur sangeeta ji..!!!
sach meri kahani aap ki zubanee!!
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